
- रवीन्द्र नाथ टैगोर मौलिक चेतना के साकार रूप थे – प्रो. मित्रेश्वर
घाटशिला
सोना देवी विश्वविद्यालय घाटशिला के सभागार में शुक्रवार को विश्व कवि गुरू रविन्द्र नाथ टैगोर की 164वीं जयंती मनाई गई. रवीन्द्र नाथ का जीवन दर्शन, मनोभावना और साहित्यिक कृतियां विषय पर बांग्ला, इतिहास और राजनीति विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि धाटशिला कॉलेज इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो मित्रेश्वर ने कहा कि रवीन्द्र नाथ टैगोर मौलिक चेतना के साकार रूप थे।
उन्होंने जन जन से जुड़ने के लिए मैथिली भाषा में ‘भानुसिंधे पदावली’ की रचना की. रवीन्द्र नाथ बांग्ला संस्कृति की पहचान हैं. यदि बांग्ला संस्कृति से रवीन्द्र नाथ टैगोर की रचना को अलग कर दिया जाए तो बांग्ला संस्कृति में कुछ विशेष नहीं बचेगा. उन्होंने देश को रवीन्द्रनाथ की देन को याद करते हुए कहा कि वे ब्रह्मा के पर्यायवाची हैं जिन्होंने समस्याओं के केवल देखा ही नहीं बल्कि उसका समाधान भी किया. प्रो मित्रेश्वर ने कहा कि गुरूदेव की रचनाओं में आनन्द प्राप्ति का भाव है जो ज्ञान प्राप्ति से ही संभव है. उन्होंने कहा कि अर्थकारी शिक्षा अनर्थकारी होती है.
प्रो मित्रेश्वर ने कहा कि रवीन्द्रनाथ के सपनों का हिंदुस्तान बनना चाहिए. आजादी के बाद देश ने रवीन्द्र नाथ टैगोर के शिक्षा संबंधी दर्शन को भुला दिया.
सोना देवी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रभाकर सिंह ने इस मौके पर कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती के साथ ही हमें महान सेनानी महाराणा प्रताप की जयंती मनाने का अवसर प्राप्त हुआ है.
महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर आज का दिन शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है. महाराणा प्रताप ने अपना जीवन देश के लिए बलिदान कर दिया. श्री सिंह ने भारत पाकिस्तान के बीच हो रहे संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि देश का नेतृत्व कुशल हाथों में है और हमें अपनी सुरक्षा के लिए हर स्तर पर सर्तक रहना है. हमे देश की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाने के लिए तैयार रहना है.
सोना देवी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जे पी मिश्रा ने कहा कि विश्वकवि टैगोर ने वसुधैव कुटुंबकम की बात कही. वे प्रकृति प्रेमी थे और महात्मा गांधी से उनका गहरा संबंध था.
सोना देवी विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ गुलाब सिंह आजाद ने विश्वकवि गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर की रचनाअें के बारे में कहा कि उनके बताए मार्ग पर चलने की कोशिश करें. रवीन्द्र नाथ टैगोर ने शिक्षा के संबंध में बहुत प्रेरक विचार दिए जिसे मानना चाहिए. उन्होंने विश्वास और विनम्रता पर भी शिक्षा दी है. कुलसचिव डॉ गुलाब सिंह आजाद ने विश्वकवि गुरू रवीन्द्र नाथ टैगोर के शिक्षा संबंधी विचारों से भी अवगत कराया.
इस कार्यक्रम में बांग्ला विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ सुबोध कुमार सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे.
इस कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्जवलन से की गई. संगीत विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ संगीता चौधरी ने गुरूदेव की रचना गाकर कार्यक्रम का शुभारंभ कराया.राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ शिव चंद्र झा, इतिहास विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ कंचन सिन्हा,भौतिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक संतोष कुमार सिंह, अंग्रेजी विभाग की सहायक प्राध्यापक अनुसूआ रॉय, गणित विभाग के सहायक प्राध्यापक कृष्णेंदु दत्ता और संस्कृत विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ शैकत चक्रवर्ती तथा बांग्ला विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ डोला रॉय तथा डॉ. पियासा Chou चौधरी तथा फार्मेसी तथा बीटेक के कई छात्र छात्राओं ने भी विश्वकवि गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर के व्यक्तित्व और उनकी रचनाओं के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए.
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी संकायों के प्राध्यापक तथा छात्र छात्राएं उपस्थित थे.
