जादूगोड़ा : आज जादूगोड़ा के क्षेत्र में पूरी श्रद्धा से समर्पित दिखा आज का यह दिन, लोगों में उत्साह के साथ समर्पित था। उस अद्भुत नारी शक्ति को, जिसने अपने तप, व्रत और प्रेम से यमराज को भी हरा दिया। सावित्री की भक्ति, समर्पण और दृढ़ संकल्प हर सुहागन को प्रेरणा देता है। बट वृक्ष (बरगद का पेड़) के नीचे बैठकर किया गया यह व्रत पति की लंबी उम्र, सुख-शांति और पारिवारिक समृद्धि के लिए किया जाता है। आज सुबह से ही जादूगोड़ा शिव मंदिर एवं आस-पास में काफी संख्या में महिलाओं की भीड़ देखी गई। जादूगोड़ा क्षेत्र के सुहागन महिलाओं ने बट सावित्री की पूजा अर्चना धूमधाम से की। मौके पर मौजूद सुलेखा मंडल ने बताया कि बहुत समय पहले एक राजा अश्वपत की पुत्री थी सावित्री। वह अत्यंत सुंदर, बुद्धिमान और धर्मनिष्ठा से युक्त थी। विवाह योग्य होने पर उसने स्वयं एक वनवासी राजकुमार सत्यवान को पति रूप में चुना। सावित्री को ज्ञात हुआ कि सत्यवान की आयु अल्प है और वह शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त होगा, फिर भी उसने सत्यवान से विवाह किया। विवाह के बाद, एक दिन सत्यवान जंगल में लकड़ी काटने गया, सावित्री भी साथ गई। वहाँ सत्यवान को चक्कर आया और वह गिर पड़ा। उसी समय यमराज आए और उसकी आत्मा ले जाने लगे। सावित्री ने यमराज का पीछा किया और उन्हें धर्म, सेवा, पवित्रता और नारी शक्ति की बातें सुनाईं। यमराज प्रसन्न होकर उसे तीन वरदान देने को तैयार हुए। सावित्री ने:अपने ससुर का नेत्र ज्योति वापस मांगा,अपने ससुर के राज्य की पुनः प्राप्ति,और अंत में सौ पुत्रों का वर माँग लिया। यह सुनकर यमराज को समझ आ गया कि बिना सत्यवान के ये वरदान संभव नहीं। उन्होंने सत्यवान को जीवनदान दिया और सावित्री की पतिव्रता शक्ति की प्रशंसा की।
यह व्रत महिलाएं बरगद के पेड़ में कच्चे सुता लपेटकर सात बार परिक्रमा करती है। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करती है। सर्वप्रथम यह व्रत सावित्री ने सत्यवान को यमराज के चंगुल से जीवित पाने के लिए किया था ।
