चाईबासा: कोल्हान विश्वविद्यालय, जिसे कभी कोल्हान क्षेत्र की शैक्षणिक रीढ़ कहा जाता था, आज अपनी पहचान और गरिमा खो चुका है। मुख्यालय चाईबासा में मौजूद होने के बावजूद विश्वविद्यालय पूरी तरह बदहाल और पंगु स्थिति में है। कुलपति का आलीशान आवास तो चाईबासा में है, परंतु वे यहाँ रहते नहीं। यही नहीं, डीन, रजिस्ट्रार, वित्त पदाधिकारी और विभागाध्यक्ष जैसे प्रमुख पदाधिकारी भी मुख्यालय से नदारद रहते हैं। विश्वविद्यालय का संचालन फोन कॉल और वीडियो कॉल के भरोसे किया जा रहा है। यह स्थिति कोल्हान जैसे पिछड़े क्षेत्र के लाखों छात्रों के साथ सीधा अन्याय और मजाक है।
इस गंभीर मामले पर एंटी करप्शन ऑफ इंडिया के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष रामहरि गोप ने चाईबासा के उपायुक्त चंदन कुमार को झारखंड के राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में स्पष्ट रूप से माँग की गई है कि कुलपति और सभी शीर्ष प्रशासनिक पदाधिकारी तत्काल चाईबासा मुख्यालय में निवास और कार्य करें। डीन और विभागाध्यक्षों की मुख्यालय में उपस्थिति अनिवार्य की जाए। विश्वविद्यालय में स्थायी प्रवक्ता की नियुक्ति की जाए। लंबित शैक्षणिक सत्रों को समयबद्ध तरीके से पूर्ण करने हेतु विशेष रोडमैप बनाया जाए। विश्वविद्यालय प्रशासन पर निगरानी रखने के लिए उच्चस्तरीय टीम गठित की जाए और उसकी रिपोर्ट सीधे कुलाधिपति को सौंपी जाए। लापरवाह और गैर-जिम्मेदार पदाधिकारियों पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
सच तो यह है कि विश्वविद्यालय का मुख्यालय चाईबासा अब लगभग वीरान पड़ा है। केवल परीक्षा नियंत्रक रिंकी दोराई ही नियमित रूप से दफ्तर में कार्यरत रहती हैं। प्रवक्ता तक की नियुक्ति नहीं की गई है, जिससे छात्रों, शोधार्थियों और मीडिया तक समय पर सही जानकारी नहीं पहुँच पाती। यह स्थिति किसी विश्वविद्यालय की नहीं, बल्कि एक मजाक और धोखाधड़ी जैसी है।
छात्रों और अभिभावकों की नाराजगी
इस लापरवाही का सबसे बड़ा खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ रहा है। कला स्नातक (बी.ए.), विज्ञान स्नातक (बी.एससी.), वाणिज्य स्नातक (बी.कॉम.), नर्सिंग, बी.एड., कला स्नातकोत्तर (एम.ए.), विज्ञान स्नातकोत्तर (एम.एससी.), वाणिज्य स्नातकोत्तर (एम.कॉम.), एम.एड. – लगभग सभी पाठ्यक्रमों के सत्र बेतहाशा विलंबित हैं।
परीक्षाएँ और परिणाम महीनों से लटके हुए हैं
छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़ रहे हैं और उनका भविष्य अंधकार में धकेला जा रहा है। छात्रों का कहना है कि “हम मेहनत से पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन विश्वविद्यालय की लापरवाही ने हमारे कैरियर को बर्बाद कर दिया है। जब तक प्रशासन सुधरेगा, तब तक हम प्रतियोगी परीक्षाओं में पीछे रह जाएँगे।
अभिभावक भी बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि “हमने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए कर्ज लेकर फीस भरी, लेकिन बदले में विश्वविद्यालय केवल वादे और देरी दे रहा है। यदि यही हाल रहा तो कोल्हान के बच्चों का भविष्य पूरी तरह चौपट हो जाएगा।
