- संथाली समाज को धर्मांतरण से बचाने की अस्मिता और बेटे की जीत के लिए दिन रात एक कर एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन.
उमेश कांत गिरि
घाटशिला
घाटशिला विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी पुरे तेज उफान पर है. चुनाव की घोषणा के साथ ही सभी दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियां कमर कस तेज कर दी है. इसी कड़ी में भाजपा के पुनः संभावनाएं प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन को जीत का ताज पहनाने के लिए उनके पिता झारखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले और झारखंड सरकार के झारखंड टाइगर पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन खुद मैदान में ताल ठोक कर दो-दो हाथ करने उतर आए हैं.
चंपई सोरेन रोजाना सरायकेला से घाटशिला पहुंचकर क्षेत्र के गांव गांव में जनसंपर्क कर रहे हैं. वे मतदाताओं से पूजा आत्मीयता के साथ सीधे संवाद स्थापित कर अपने पुराने आंदोलन और सामाजिक कार्यों की याद दिला रहे हैं. उनका उद्देश्य स्पष्ट है बेटे को विधायक बनाना और भाजपा को घाटशिला सीट पर ऐतिहासिक जीत दिलाना.
स्थानीय बैठकों और नुक्कड़ सभाओं में चंपई सोरेन बार-बार इस बात को दोहरा रहे हैं कि घाटशिला सीट की जीत सिर्फ एक विधायक चुनने का मामला नहीं है,
बल्कि समाज को दिशा एवं दशा देने वाला परिणाम साबित हो सकता है. उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा, ‘यह सिर्फ भाजपा की जीत नहीं होगी, बल्कि एक परिवार, एक विचारधारा और एक समर्पण का सम्मान होगा. पिता की प्रतिष्ठा, पुत्र की भविष्य की राह चंपई सोरेन के लिए यह उपचुनाव राजनीतिक प्रतिष्ठा से जुड़ा है. वे अपने पुत्र को सफल नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं. इसके लिए वे पुरजोर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो चंपई सोरेन की सक्रियता से भाजपा का स्थानीय संगठन भी अधिक ऊर्जावान और संगठित हुआ है.
अपने दौरों के संपर्क दौरान चंपई सोरेन मतदाताओं से संपर्क स्थापित पर कमल के फूल पर वोट देने की अपील कर रहे हैं. वे लोगों को यह याद दिला रहे हैं. कि भाजपा ने झारखंड और खासकर कोल्हान क्षेत्र में किस तरह विकास की गति को बरकरार रखते हुए बयार की नदी बहा रही है.










