नई लेबर लॉ कोड पर सेमिनार का हुआ सफल आयोजन.. नियोक्ताओं को मिली सुधारों के लाभ एवं चुनौतियों की स्पष्ट समझ।

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मनोज कुमार

जमशेदपुर

सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (SCCI), जमशेदपुर एवं आदित्यपुर स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (ASIA) के संयुक्त तत्वावधान में “नई श्रम संहिता (New Labour Code)” पर एक विशेष सेमिनार का सफल आयोजन मंगलवार, 23 दिसंबर 2025 को चैंबर भवन, बिष्टुपुर, जमशेदपुर में किया गया। इस सेमिनार में क्षेत्र के उद्योगपतियों, व्यवसायियों, एचआर प्रोफेशनल्स एवं प्रबंधन प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।

सेमिनार के मुख्य वक्ता श्री रवि जायसवाल, डायरेक्टर, EY एवं सुश्री रीमा जलान, सीनियर मैनेजर, EY रहे। वक्ताओं ने नई श्रम संहिता के प्रावधानों, अनुपालन ढांचे एवं उनके व्यावहारिक प्रभावों पर विस्तृत प्रस्तुति दी तथा बताया कि यह संहिता कार्यस्थल सुधारों के एक नए युग की शुरुआत करती है।

नियोक्ताओं के लिए लाभ :
नई श्रम संहिता के अंतर्गत अनेक पुराने एवं जटिल श्रम कानूनों का समेकन किया गया है, जिससे नियोक्ताओं के लिए अनुपालन प्रक्रिया अधिक सरल, पारदर्शी एवं एकरूप हो गई है। वेतन, कार्यघंटों एवं रोजगार शर्तों की स्पष्ट परिभाषा से मानव संसाधन प्रबंधन अधिक सुव्यवस्थित होगा। डिजिटल रजिस्ट्रेशन, रिटर्न एवं रिकॉर्ड-कीपिंग की व्यवस्था से कागजी कार्यवाही में कमी आएगी तथा प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी। औद्योगिक संबंधों में स्पष्टता आने से विवादों की संभावना कम होगी, जिससे उद्योगों को स्थिर एवं अनुकूल कारोबारी वातावरण प्राप्त होगा।

नियोक्ताओं के लिए चुनौतियाँ :
वहीं दूसरी ओर, वेतन की नई परिभाषा के कारण भविष्य निधि, ग्रेच्युटी एवं अन्य सामाजिक सुरक्षा योगदान में वृद्धि होने की संभावना है, जिससे नियोक्ताओं पर वित्तीय बोझ बढ़ सकता है। प्रारंभिक चरण में एचआर नीतियों, पेरोल संरचना एवं आंतरिक प्रक्रियाओं में बदलाव करना आवश्यक होगा, जो समय एवं संसाधन की मांग करेगा। नए प्रावधानों के प्रति पर्याप्त जागरूकता एवं प्रशिक्षण के अभाव में अनुपालन से जुड़े जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं, विशेष रूप से छोटे एवं मध्यम उद्योगों के लिए यह संक्रमणकाल एक चुनौतीपूर्ण चरण सिद्ध हो सकता है। 

सिंहभूम चैम्बर अध्यक्ष मानव केडिया ने उपस्थित अतिथियों एवं सदस्यों का स्वागत करते हुये कार्यक्रम की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि जिस तरह केन्द्र सरकार ने 17 अप्रत्यक्ष कर कानूनों को समाप्त कर जीएसटी लाया गया उसी तरह 29 श्रम कानूनों को समाप्त कर चार श्रम कोड केन्द्र सरकार के द्वारा लाया गया है जो कि एक सराहनीय कदम है। अब इसमें झारखण्ड सरकार को जल्द नियमावली बनाना है जिसपर कार्य करने की आवश्यकता है। उसके बाद चैम्बर अपना सुझाव प्रेषित कर इसे उद्यमी मजदूर हित में बनाने का प्रयास करेगी ताकि जिस तरह जीएसटी कानून लाने के बाद पांच साल के अंतराल में एक हजार एमेंडमेंट किये गये। श्रम कानून के लागू होने के बाद इस तरह के एमेंडमेंट की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
एसिया के अध्यक्ष इन्दर अग्रवाल ने कहा कि नये श्रम कानून में और सुधार की आवश्यकता है। इसपर सरकार को विचार करने की आवश्यकता है। अगर इस कानून को इसी प्रारूप में लागू किया गया तो समस्यायें बढ़ने वाली है। और जिस तरह किसान आंदोलनरत हुये उसी तरह आगे मजदूर आंदोलनरत होंगे। इससे सरकार एवं उद्यमियों को परेशानी उठानी पड़ेगी। इसलिये इसे सरल बनाया जाना चाहिए उसके बाद लागू करना चाहिए।

कार्यक्रम के दौरान प्रश्न-उत्तर सत्र में प्रतिभागियों ने अपने व्यावहारिक अनुभव साझा किए, जिनका समाधान वक्ताओं द्वारा उदाहरणों एवं केस स्टडी के माध्यम से किया गया, जिसे उपस्थित सदस्यों ने अत्यंत उपयोगी बताया।

इस अवसर पर एसिया के महासचिव श्री प्रवीण गुटगुटिया ने संयुक्त रूप से कहा कि इस प्रकार के ज्ञानवर्धक कार्यक्रम उद्योगों को बदलते श्रम कानूनों के अनुरूप स्वयं को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एसिया और सिंहभूम चैम्बर के संयुक्त तत्वावधान में आगे भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा।

कार्यक्रम में विषय प्रवेश एवं वक्ताओं का विस्तृत परिचय उपाध्यक्ष हर्ष बाकरेवाल ने कराया। मंच संचालन चैम्बर के मानद महासचिव पुनीत कांवटिया ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन सचिव बिनोद शर्मा ने किया।

इस अवसर पर चैम्बर के उपाध्यक्ष अधिवक्ता राजीव अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल गोल्डी, सचिव अंशुल रिंगसिया, कोषाध्यक्ष सीए. अनिल रिंगसिया, एसिया के पदाधिकारीगण दशरथ उपाध्याय, पिंकेश महेश्वरी, संतोख सिंह, रतन अग्रवाल, सुमीत गर्ग, आकाश मोदी, सीए पीयूष गोयल, सीए पीयूष चूड़ीवाला, कमली मकाती, मनोज गोयल, नंदकिशोर अग्रवाल के भारी संख्या में व्यवसायी, उद्यमी एवं प्रोफेशनल उपस्थित थे।

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Author: Desh Live News

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