चाईबासा : कांग्रेस लीडर राहुल गांधी 6 अगस्त को मानहानि केस में चाईबासा के जिस एमपी-एमएलए कोर्ट (विशेष) में पेश हुए थे, उस कोर्ट की जज हैं—सुप्रिया रानी तिग्गा। 33 साल की इसी युवा जज के समक्ष राहुल गांधी को हाजरी लगानी पड़ी थी। सुप्रिया ने इस डिफेमेशन केस के क्रिमिनल सूट में राहुल गांधी को जमानत भी दी थी। तत्पश्चात रानी तिग्गा चर्चित हो गयी।
कौन है आदिवासी उरांव जज सुप्रिया रानी तिग्गा?
राहुल गांधी के डिफेमेशन केस की सुनवाई करनेवाली सुप्रिया रानी तिग्गा उसकी पेशी के बाद अचानक चर्चा में आ गयी है। जबकि इसके पहले तक वह न्यायिक जगत में गुमनाम रही थी। पर 33 वर्ष की उम्र में देश के लीडर ऑफ ऑपोजिशन राहुल गांधी के हाईप्रोफाईल केस की सुनवाई करके वह अब मशहूर हो गयी है।
रांची की उरांव कम्युनिटी से आती है सुप्रिया
सुप्रिया रानी तिग्गा रांची की रहनेवाली है और वर्ष 2018 में उन्होंने भारतीय न्यायिक सेवा (इंडियन ज्यूडिशियल सर्विस) ज्वाईन की थी। न्यायिक सेवा में दर्ज उनकी प्रोफाइल के अनुसार, उन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स तक की पढ़ाई की है। फिर एलएलबी यानी कानून की डिग्री हासिल की। इसके बाद ऑल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विस परीक्षा क्रैक करके न्यायिक सेवा में आयी। कहते हैं कि ग्रेजुएशन के कुछ साल बाद ही यह उपलब्धि उन्होंने हासिल कर ली। उनका जन्म 04 अगस्त 1992 को पिता रामदास तिग्गा के घर में हुआ था। कहते हैं, वह स्कूल समय से ही न्यायिक सेवा की तरफ झुक गयी थी।
कई बड़े पदों पर आसीन है सुप्रिया रानी तिग्गा
सुप्रिया रानी तिग्गा एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट में जज होने के अलावे कई न्यायिक जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही है। वह कोर्ट रजिस्ट्रार भी हैं। इतना ही नहीं, वह सब डिविजनल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (सदर) के पद पर भी आसीन हैं। नाबालिग अपराधियों की किस्मत का फैसला करनेवाली न्यायिक संस्था जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड की न्यायिक जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर है। जब कोई नाबालिग क्राइम करता है, तो यही जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड न्यायिक फैसला देता है, कोर्ट नहीं। अभी सुप्रिया सिविल जज पद पर हैं और यह कैडर/रैंक ‘जूनियर डिवीजन’ में आता है। यदि बीच में उसका ट्रांसफर नही होता है, तो संभवत: राहुल गांधी के मुकदमे का निष्पादन उन्हीं के हाथों होगा।
