
हजारीबाग : कटकमसांडी प्रखंड में स्थित ऐतिहासिक छड़वा डैम आज संकट के दौर से गुजर रहा है। वर्ष 1952 में निर्मित यह डैम लगभग 543 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है और हजारीबाग शहर सहित आस-पास के दर्जनों गांवों के लिए पेयजल का प्रमुख स्रोत है। लेकिन हाल के दिनों में इसका जलस्तर लगातार घटता जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ गई है.स्थानीय लोगों का कहना है कि डैम की नियमित देखरेख नहीं होने के साथ साथ जल स्रोतों के सूखने और बारिश की कमी के कारण जल भंडारण क्षमता में भारी गिरावट आई है। इसका सीधा असर ग्रामीणों और शहरी निवासियों की पेयजल आपूर्ति पर पड़ने वाला है। इतना ही नहीं इससे हर घर जल योजना के तहत पेय जल आपूर्ति की जाती है लेकिन इस काम को करने वाले ठेकेदार का सरकार के ऊपर आठ करोड़ रुपए बकाया है ऐसे में उसने भी जल आपूर्ति बाधित करने की चेतावनी दी है।
सदर विधायक, प्रदीप प्रसाद ने कहा कि डैम की सुरक्षा और पुनर्जीवन के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। जलस्तर बढ़ाने के लिए डीसिल्टिंग (गाद हटाना), वर्षा जल संचयन और वृक्षारोपण जैसे उपायों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। नहीं तो आने वाले वर्षों में हजारीबाग के लोगों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही डैम से सटे क्षेत्रों में जमीन की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है, जिससे भू-माफियाओं की नजर अब इसकी जमीन पर भी लग गई है, यह न सिर्फ जल स्रोत के अस्तित्व के लिए खतरा है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी गंभीर चिंता का विषय है। हालांकि इस इलाके की वादियां इतनी खूबसूरत है कि इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाय तो यह अस्थल न सिर्फ सुरक्षित होगा बल्कि पर्यटक के आवाजाही से स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
