जादूगोड़ा: आदिवासी समुदाय में प्रतिभावानाओ की कमी नहीं है आदिवासी समाज एक खुला आसमान है जहां सरलता, सहजता, सहभागिता समानता स्वछंदता,कला, संस्कृति उल्लास है, उमंग है। झाड़ है तो, झुरमुट है खेत है तो, खलिहान है पहाड़ है तो, डुंगर है, झरने हैं, नाले हैं गांव है, टोले है मंदार है, नगाड़ा है बांसुरी है, मुरली है साज है, श्रृंगार है,कला है कलाकृति है। पर्व है, त्यौहार है,मेल है तो मेले भी है, लय है, ताल है रस है मिठास है के साथ-साथ। अदभुत कलाकृति है। 5000 वर्ष पुराना हड़प्पा सभ्यता दुनिया का सबसे पुराना सभ्यता में आदिवासियों का जीता जागता सबूत है। आज भी उनकी कलाकृति आप ऐसे दीवारों में देख सकते हैं। जीवन जीने के लिए आदिवासियों के पास हर विकल्प है, दीवारों पर उतारी गई उनकी कलाकृति सच में देखने लायक है। दुनिया में इंजीनियर नहीं आए थे उससे पहले से ही इन्हें इंजीनियरिंग, कला, कलाकृति का ज्ञान का ज्ञान था।
दीवारों पर उकेरी गई उनकी कलाकृति हम लोंगो को भी आदिवासियों की कला से प्रेम करने के लिए प्रेरित करता है, आदिवासियों के कलाकृति,आलौकिक अद्भुत है, व सामाजिक धार्मिक एवं सांस्कृतिक व्यवस्था प्रकृति से जुड़ी है। जो आज भी जादूगोड़ा जैसे ग्रामों के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में उनकी कलाकृति द्वारा खूबसूरती बिखरती हुई आपको नजर आ जाएगी,जिनकी हर एक कलाकृति लोगों को जगाने का काम कर रही है।
शायद इसीलिए सारे पेड़-पौधे,पर्वत-पहाड़ .नदी- झरने जानते हैं कि वे कौन हैं
