जमशेदपुर: विगत 16 जून को टाटा स्टील के भीतर कोल वैगन सेक्शन में सासाराम, बिहार के रहने वाले 34 वर्षीय पॉइंट्समैन सुनील कुमार सिंह की कथित तौर पर ट्रेन के चपेट में आकर मौत हो गई थी। बताते चले कि सुनील कुमार सिंह टी एंड एम सर्विसेज कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई द्वारा टाटा स्टील के वेंडर मेसर्स राइट्स लिमिटेड के लिए नियुक्त किए गए थे, और मृतक की वर्तमान नियुक्ति टाटा स्टील, जमशेदपुर में ही थी।
चूंकि मृतक टाटा स्टील के वेंडर का कर्मचारी था, इसलिए मृतक के परिवार की तरफ से प्रबंधन के साथ शुरुआती वार्ता में अधिकारियों का रवैया बहुत सकारात्मक नहीं था, और मुआवजे पर ठोस सहमति नहीं बन पा रहीं थी। टाटा स्टील, मृतक के आश्रित को अगले 26 सालों तक महीने में मिलनेवाली पेंशन के अलावा कुछ भी अतिरिक्त देने को तैयार नहीं थी।
कोई सहमति नहीं बन पाने की स्थिति में मृतक के परिवार वालों ने कांग्रेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र सोनकर से संपर्क साधा एवं मदद की गुहार लगाई। मामले में धर्मेंद्र सोनकर के आते ही प्रबंधन से नए स्तर पर वार्ता शुरू हुई। प्रबंधन ने यह स्पष्ट कर दिया कि चूंकि मृतक की मौत टाटा स्टील के कार्यस्थल पर हुई है इसलिए तथाकथित तकनीकी पहलुओं पर वक्त बर्बाद करने के बजाय मानवीयता के आधार पर टाटा स्टील को आगे बढ़कर मदद करनी चाहिए और जब तक कि इसपर सहमति नहीं बनती है तब तक परिवार के लोग मृत शरीर को नहीं लेगी और दाह संस्कार नहीं होगा।
अंतत आज प्रबंधन को परिवार की तरफ से वार्ता के लिए धर्मेंद्र सोनकर क़ो बुलाया गया और परिवार के जायज़ मांगों के सामने कंपनी प्रबंधन को झुकना पड़ा और पीड़ित परिवार को स्थाई समाधान के साथ साथ तत्काल राहत के तौर पर 7 लाख एवं इंश्योरेंस के 2.5 लाख को मिलकर तकरीबन 10 लाख की राशि पर प्रबंधन ने अपनी सहमति दे दी। साथ ही साथ मृतक के आश्रितों को मृतक की नौकरी के बचें हुए 26 सालों तक हर महीने लगभग 35 हजार की राशि भी मिलती रहेगी, जो कि कुल मिलाकर तकरीबन सवा करोड़ की राशि बनती है।
