मनोज कुमार /जमशेदपुर।
राज्य के विभिन्न जिलों में चल रही उत्पाद सिपाही की दौड़ के दौरान अब तक कुल 12 युवा अभ्यर्थियों की असमय और दुःखद मौत ने पूरे राज्य में गहरे शोक और आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। इसको लेकर राज्य सरकार की असंवेदनशीलता और तुगलकी नीतियों के खिलाफ भाजयुमो जमशेदपुर महानगर ने सोमवार को मशाल जुलूस के माध्यम से अपना कड़ा विरोध प्रकट किया।
इस मौके पर नवमनोनित भाजयुमो जिलाध्यक्ष नीतीश कुमार के नेतृत्व में हजारों कार्यकर्तओं ने साकची स्थित जिला भाजपा कार्यालय से साकची बड़ा गोलचक्कर तक हाथों में मशाल लेकर हेमंत सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और पुतला दहन किया। इस अवसर पर भाजपा के कार्यकर्ता और युवाओं की भारी भीड़ मशालें थामे जब सड़कों पर उतरी, तो शहर की फिज़ा में आक्रोश और पीड़ा की गूंज स्पष्ट सुनाई दे रही थी। इस भव्य विरोध प्रदर्शन में मशालों की रोशनी और आक्रोश की धधकती ज्वाला ने साबित कर दिया कि युवा अब सरकार के अन्याय के खिलाफ चुप नहीं बैठेगी। युवाओं ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिना सोचे समझे और राजनीतिक लाभ लेने के लिए सबसे पहले दौड़ का आयोजन कर दिया गया। अगर दौड़ की प्रक्रिया सभी जिले में आयोजित की जाती तो छात्र अपने ही गृह जिला में दौड़ की प्रक्रिया पूरा करते जिससे अभ्यार्थियों को रात से लाइन में लगना नही पड़ता। भाजपा ने अभ्यर्थियों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और सरकार से उनकी समुचित सहायता और मुआवजे की मांग की।
मशाल जुलूस का नेतृत्व कर रहे भाजयुमो जिलाध्यक्ष नीतीश कुमार ने इस घटना के लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार की नीतियों और तुगलकी फरमान को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि ऐसी अमानवीय घटनाओं से सरकार की संवेदनहीनता और तानाशाही प्रवृत्ति उजागर होती है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीति के कारण घरो का चिराग बुझ रहा है। उन्होंने सरकार से बहाली के दौरान बेरोजगार युवकों की मौत की न्यायिक जांच कराने, मृत युवकों के आश्रितों को उचित मुआवजा एवं सरकारी नौकरी उपलब्ध कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार द्वारा आपाधापी में भादो की उमस भरी गर्मी में दौड़ आयोजित कराने के कारण ही राज्य के 12 युवक मौत के काल के गाल में समा गए। हेमंत सरकार ने भर्ती केंद्रों पर न तो पीने के पानी की व्यवस्था की, ना शौचालय की और ना ही महिलाओं के लिए कोई व्यवस्था की।
जबकि भाजयुमो प्रदेश मंत्री अमित अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार का तुगलकी फरमान ही है कि पहले तो 5 वर्षों में नौकरी का वादा पूरा नहीं कर सकी और जब युवाओं का आक्रोश सड़कों पर दिखा और भाजपा का दबाव बढ़ा तो आनन-फानन में उत्पाद सिपाही की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की। उमस भारी गर्मी में 1 घंटे में 10 किलोमीटर की दौड़ को पूरा करने में एक ओर जहां सैकड़ों युवा गंभीर रूप से बीमार हो गए, वहीं दर्जनों युवाओं की जान भी चली गई है। राज्य के युवा सरकारी नौकरी पाने के लिए अपने जान दांव पर लगाने तक को मजबूर हैं, जबकि राज्य सरकार की संवेदना मर चुकी है।
इस दौरान पूर्व जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार, जटाशंकर पांडेय, नीरज सिंह, संजीव सिन्हा राजीव सिंह, संजीव सिंह, विजय तिवारी, मीली दास, शांति देवी, काली शर्मा, प्रेम झा, सुबोध झा, ज्ञान प्रकाश, उज्ज्वल सिंह, अमित सिंह, किशोर ओझा, अजय श्रीवास्तव, राजीव रंजन सिंह, विजय सिंह, धर्मेंद्र प्रसाद, सागर राय, सोनू ठाकुर, शैलेश गुप्ता, अभिमन्यु सिंह चौहान, चंदन चौबे, सुशील पांडेय, अभिषेक डे, चिंटू सिंह, कृष्णकांत राय, पप्पू उपाध्याय, बिनोद राय, प्रशांत पोद्दार, अमित मिश्रा, आनंद कुमार, सूरज सिंह, राजपति देवी, उपेंद्र नाथ सरदार, भोपना महाली, अजय सिंह, बबलू गोप, शशांक शेखर, पप्पू कुमार, मुकेश कुमार समेत अन्य कार्यकर्ता प्रमुख रूप से मौजूद रहे।