- घाटशिला उप चुनाव के”रडार” पर बहरागोड़ा षाड़ंगी परिवार…..
- झामुमो VS भाजपा में “तकरार”,
- छिड़ी हैं आरोप-प्रत्यारोप थमने का नहीं जंगे रार… 🤔😇😱🫵🏻🫵🏻🫵🏻
- कुनु बाबू की पत्नी सुष्मिता षाड़ंगी ने द्वारा हस्ताक्षर युक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कई बातों का किया खुलासा।
- वर्तमान में घाटशिला अनुमंडल के शहरों ग्रामीणों क्षेत्र के घरो – चौक – चौराहे में, उपचुनाव की चर्चा ज्यादा हो रही है.
उमेश कांत गिरी
घाटशिला
ज्ञात हो कि पिछले दिनों घाटशिला स्थित टाउन हॉल में झारखंड मुक्ति मोर्चा कार्यकर्ता प्रशिक्षण सम्मेलन में द्विजेन सारंगी के भतीजे और स्वास्थ्य मंत्री सह पूर्व विधायक दिनेश सारंगी के पुत्र पूर्व विधायक झामुमो के केंद्रीय प्रेस प्रवक्ता कुणाल सारंगी ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के ऊपर आरोप लगाते हुए कहा था। कि जिस दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने उंगली पड़कर राजनीति सिखाया था। जब दिशोम गुरु दिल्ली के अस्पताल में इलाजरत थे। पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन मिलने क्यों नहीं गए? यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन उनके गृह क्षेत्र नेमरा जो की पास में ही था। वहां भी नहीं गए? इसी आप के आलोक में भाजपा ग्रामीण जिला अध्यक्ष चंडी चरण साव ने पलटवार करते हुए प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से कुणाल सारंगी पर अपने चाचा द्विजेन सारंगी से संबंधित आरोप लगाया था। इसी के जवाब में पुनः झामुमो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कुणाल सारंगी द्वारा चाचा की देखभाल से संबंधित सबूत मीडिया को दिखाते हुए भाजपा के ग्रामीण जिला अध्यक्ष चंडी चरण साव पर कई आरोप लगाते हुए माफी मांगने का वक्त दिया गया था। दिए गए वक्त के अनुसार माफ़ी ना मांगने पर मानहानि का केस मुकदमा दर्ज आदि करने की बातें कही गई थी।
अब दिवंगत द्विजेन सारंगी की पत्नी द्वारा प्रेस विज्ञप्ति हस्ताक्षर युक्त जारी करते हुए इस घटनाक्रम में एक नया मोड़ ले दिया है।
सुष्मिता षाड़ंगी
दिवंगत द्विजेन षाड़ंगी की पत्नी सुष्मिता षाड़ंगी ने जारी चिट्ठी में सबसे पहले इस बात का ही उल्लेख किया कि राजनैतकी घटनाक्रम में मेरे दिवंगत पति और मेरे परिवार का नाम किस आधार पर घसीटा जा रहा है। जो सीधे तौर पर भाजपा जिला अध्यक्ष चंडीचरण साव को कटघरे में खड़ा करता है क्योंकि इस प्रकरण में सबसे पहले घाटशिला में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कुणाल षारंगी पर इनके दिवंगत चाचा द्विजेन षाड़ंगी के बीमार रहने और इस दौरान इनका ईलाज के दौरान निधन हो जाने पर कुणाल षाड़ंगी से सवाल किया था कि इसने जो चम्पई सोरेन पर सवाल उठा रहे हैं वह अपने चाचा के पास क्यों नही गए थे,यहीं से कुणाल षाड़ंगी को साधने के लिये सबसे पहले दिवंगत कुनु बाबू के नाम को उछाला गया जिसके बाद अगले ही दिन घाटशिला में झामुमो के द्वारा भी प्रेस कांफ्रेंस कर कुनु बाबु को भाजपा जिलाध्यक्ष चंडीचरण साव के सवाल के जवाब में कुनु बाबू के नामों को एक बार फिर लाया गया।
इस पूरे प्रकरण को लेकर दिवंगत कुनु बाबू की पत्नी ने जो चिट्ठी जारी किया है उसे आप भी पढ़ें और समझे…



चिट्ठी का हु बहु प्रारूप आप भी पढ़ें…
मैं सुष्मिता सारंगी, समस्त पूर्वी सिंहभूम के लोगों और मीडिया को सादर प्रणाम करती हूँ!
अत्यंत दुख और शर्म के साथ आज ये कहना पड़ रहा है कि मैंने कभी नहीं सोचा था… कि एक दिन में यूं एक मंच पर आ कर अपने स्वर्गीय, पति, श्री कुनु सारंगी जी की ओर से बात करूंगी… पर परिस्थिती ऐसी बना दी गई है कि मुझे आगे आना ही पड़ा।
राजनीति और सारंगी परिवार का संबंध सालों का है। अनेक दिग्गज आए पर सभी का उपदेश एक ही था सेवा का भाव ! ठीक उसी भाव से, श्री कुनु सारंगी जी ने भी 40 साल राजनीति में अपना हर एक पल जन कल्याण के लिए ही समर्पित किया है।
इस का प्रमाण है कई ऐसे परिवार जिनको उन्होंने अपने-अपनेपन से जोडे रखा। सिर्फ ये ही नहीं बलकी डॉ. दिनेश सारंगी जी के इसी लक्ष्मण जैसे छोटे भाई ने दो बार उन्हें चुनाव जिताने में और उनके सु-पुत्र कुणाल सारंगी को चुनाव जिताने में अपनी एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया था।
पर आज जब वो इस दुनिया में नहीं हैं तो कई लोग कई सज्जन लोग उनके परिवार पर उंगलियां उठा रहे हैं। उनके बाद, इस परिवार की संरक्षक होने के नाते मैं कुछ बातें कहना चाहती हूं और कुछ सवाल भी करना चाहती हूं।
पिछले कुछ दिनों में काफी खबरें ऐसी आई हैं जिनमें मेरे पति, श्री कुनु सारंगी जी का नाम बिन-वजह और बे-मतलब घसीटा गया…। यहां तक कि मेरे या मेरे बच्चों के अन्नुमति के बिना उनकी तस्वीर भी सार्वजनिक मंच पर डाली गई… पर हम चुप रहे।
फिर जेएमएम के एक सज्जन प्रवक्ता द्वारा अयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उस सज्जन पुरुष ने ये सवाल उठाया कि “कुणाल सारंगी के चचेरे भाई से पूछिए कि उन्होंने अपने पिता के लिए क्या किया?
इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने ये भी दावा किया कि उनके पास इस बात का प्रमाण है कि कुणाल सारंगी अपने चाचा से मिलने कितनी बार गए जब उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।
इस हद तक कहा गया कि मेरे पति, श्री कुनु सारंगी जी का पार्थिव शरीर भी कुणाल सारंगी ही बंबई से बहारगोड़ा लेकर आए।
आप सभी जानते हैं कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और हर सच एकतरफ़ा नहीं होता। सब कुछ सुनने के बाद, आज मैं इस मंच द्वारा अपना सच सामने रखना चाहूंगी।
सबसे पहली बात… पिछले दिनों जो कुछ भी समस्या या मुद्दा चर्चा में है… उससे न मेरे पति श्री कुनु सारंगी जी का, न मेरा, न मेरे बेटे राहुल का और न ही मेरी बेटी बिपाशा का कोई लेना-देना है। तो फिर बिन बात के मेरे पति श्री कुनु सारंगी जी, जो आज इस दुनिया में हैं ही नहीं… उनका नाम कोई अपना व्यक्तिगत और राजनीतिक एजेंडा सिद्ध करने के लिए क्यों इस्तेमाल कर रहा है?
जीवित लोग अपना पक्ष सामने रख सकते हैं… पर जो व्यक्ति इस दुनिया को ही छोड़ चुका है, वो अपना पक्ष या अपना सच कैसे आप सबके सामने रखेगा?? निवेदन है कि मुझे ये आप में से कोई बताए। इसीलिए, ये मेरी विनती है सभी राजनीतिक पार्टियों, मीडिया और लोगों से कि कृपया श्री कुनु सारंगी जी का नाम यूँ व्यर्थ में, केवल अपना उल्लू सीधा करने के लिए इस्तेमाल न करें।
अब दूसरी बात मेरे बेटे राहुल सारंगी ने अपने पिता के लिए क्या किया या मेरी बेटी बिपाशा सारंगी ने अपने पिता के लिए क्या किया… ये मैं जानती हूँ, मेरे स्वर्गीय पति श्री कुनु सारंगी जी जानते हैं और हम सबसे बड़ा -ऊपर बैठा मेरा भगवान जानता है, और मेरी समझ के मुताबिक़ कोई भी बच्चा अपने माता-पिता के प्रति कर्तव्यों या दायित्व का हिसाब नहीं रखता और मैं ये बिलकुल ज़रूरी नहीं समझती कि हम तीनों में से क. किसी को भी जवाबदेह है।
पिता के प्रति किए कर्तव्य का अगर प्रमाणपत्र देना पड़े तो धिक्कार है ऐसे दिखावे के कर्तव्य का।
इसी प्रकरण के बीच मीडिया में आयी खबर के अनुसार आदरणीय डॉ. दिनेश सारंगी जी ने ये कहा कि “व्यक्तिगत मर्यादा से ऊपर नहीं राजनीति।” उनके इस कथन से मैं सौ प्रतिशत सहमत हूँ, पर अगर कोई मर्यादा का उल्लंघन, राजनीतिक दांव-पेंच से करे तो फिर मर्यादा भी अपनी मर्यादा भूल जाने पर मजबूर हो जाती है।
मैं आप सभी भाई-बहनों से मेरे कुछ सवालों पर आपकी राय जानना चाहती हूँ।
जेएमएम के एक आदरणीय प्रवक्ता जिन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी ये बात रखी कि उनके पास प्रमाण है कि कुणाल सारंगी अपने चाचा से मिलने कितनी बार गए थे –
तो फिर क्या ये मुझे बताएँगे कि जब मेरे पति के बारह दिनों की अंतिम क्रियाएँ चल रही थीं तो कुणाल सारंगी नित्यानंद आश्रम द्वारा आयोजित हवन में शामिल होकर वहाँ क्या कर रहे थे?… मैं आदरणीय प्रवक्ता जी से ये भी पूछना चाहूंगी कि जब कुणाल के प्रिय चाचा और मेरे पति श्री कुनु सारंगी जी की पहली पुण्यतिथि थी तो कुणाल कहाँ थे? है उसका प्रमाण?? प्रमाण तब दिए जाते हैं आदरणीय प्रवक्ता जी जब अंदर का ज़मीर जानता है कि वो सच नहीं बोल रहा।
मेरे पति, श्री कुनु सारंगी जी के गुज़रे एक महीना भी नहीं हुआ था और आदरणीय डॉ. दिनेश सारंगी जी… जिनके लिए मेरे स्वर्गीय पति उनके लक्ष्मण समान भाई थे, ने सह परिवार अपनी शादी की सालगिरह मनाई। क्या इस बात का भी प्रमाण देंगे कि उन्होंने सालगिरह कैसे और किस मन से मनाई??
रही बात श्री कुनु सारंगी जी के पार्थिव शरीर को बंबई से बहारगोड़ा लाने की, तो मुझे बेहद तकलीफ़ हो रही है पर बताना अनिवार्य है। अपने अंतिम समय में, मेरे पति ने मुझसे कहा था कि मैं, अपने बच्चों सहित, उन्हें पथरा और उनके जन्मभूमि गन्धनाता ले जाऊँ। उनके इस अंतिम बात की मान मेरे दोनों बच्चों ने रखी। सिर्फ ये ही नहीं बल्कि कुणाल सारंगी जो उस वक़्त दुबई में थे और अचानक निधन की खबर सुनकर लौटते वक़्त बंबई रुक गए… उनको भी अपने साथ बहारगोड़ा वापस लेकर आए… और इसका प्रमाण चाहिए तो मैं वो फ्लाइट टिकट जो मेरे बच्चों ने कुणाल के लिए करवाई थी… उसकी तस्वीर दे सकती हूँ।
हाँ, इतना ज़रूर कहूँगी कि रांची एयरपोर्ट से बहारगोड़ा तक का सफ़र तय करने के लिए डॉ. दिनेश सारंगी जी ने एम्बुलेंस ज़रूर दी थी।
ये सब कहते हुए मुझे शर्म आ रही है पर आप ही बताइए क्या ये ठीक है??? अरे, मंत्री हो या रास्ते का ग़रीब… अंत में सबको ही जलना है। हम जो चाहे कह लें या कर लें, अपने कर्मों का जवाब हम सबको देना है… इसीलिए मैं एक बार फिर आप सभी से हाथ जोड़कर, पूरी विनम्रता से दोबारा कहती हूँ कि जो व्यक्ति इस दुनिया में नहीं है… उसका इस्तेमाल कृपया अपने निजी स्वार्थ के लिए न करें।
श्री कुनु बाबू कौन थे? उन्होंने अपने जीवन में अपने लोगों के लिए क्या किया? उनका योगदान राजनीति एवं अपने पूर्वी सिंहभूम के भाई-बहनों के लिए क्या रहा है… ये गिनाकर मैं उनकी सेवा और समर्पण को छोटा नहीं करूँगी। बाक़ी आप सभी समझदार हैं और सज्जन भी।
एक आख़िरी बात मेरा बेटा, राहुल सारंगी यहाँ गन्धनाता, अपनी मल्टी-नेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर अपने किसी निजी स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि अपने पिता श्री कुनु सारंगी जी के साथ राजनीति में हुए धोखे और परिवार द्वारा किए अन्याय को उनकी जीत में बदलने आया है। मैं, मेरा बेटा और मेरी बेटी यहाँ गन्धनाता अपने स्वर्गीय पति एवं उनके पिता श्री कुनु सारंगी जी के अधूरे सपने को पूरा करने आए हैं, और जब तक उनका सपना पूरा नहीं होता, तब तक हम एकजुट होकर लड़ते रहेंगे। श्री कुनु सारंगी जी का जीवन समर्पित था जनसेवा को, और हम भी उसी राह पर चलने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
और मेरा पूरा विश्वास है कि आप सभी न्याय के साथ होंगे। बहुत-बहुत धन्यवाद मुझे सुनने के लिए।
जय हिंद! जय झारखंड!
आपकी अपनी
Sushmita Sarang
सुष्मिता सारंगी
(स्वर्गीय श्री दीजेन कुमार सारंगी ‘कुनु’ की पत्नी)










