उमेश कांत गिरि
घाटशिला:-
क्या पूर्वी सिंहभूम जिला पुलिस पुलिस का वास्तविक मतलब या उद्देश्य भूल गयी है या उसे इसका सही ज्ञान ही नही है। तभी तो एक लाचार और विवश लड़की जो अपनो से परेशान होकर पश्चिम बंगाल के दीघा से भागकर घाटशिला आ गयी और अंधेर स्याह रात में नेशनल हाइवे 18 पर गालूडीह ओवर ब्रिज के पास अकेली भटकती मिली जिसे गालूडीह थाना की पेट्रोलिंग वाहन ने उसे बरामद किया और उसे घाटशिला अनुमंडल अस्पताल में पुलिस अभिरक्षा में भर्ती कराया गया था। जहां पीड़ित लड़की अस्पताल कर्मियों और हर उस सख्स जो इसके पास से गुजरता था उससे ड्रग्स या और भी कई तरह के नशीले पदार्थ की मांग करती। और कपङे हालात के लिये अपने पिता और करीबियों को जिम्मदार ठहराते हुए ,कई गंभीड़ आरोप लगा रही थी,जिससे इसके ऊपर हुए अमानवीय यातनाओं का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता था।
पुलिस अभिरक्षा में आये उक्त लड़की को पुलिस प्रशासन के द्वारा उसके सुरक्षा और उसके बेहतरी के लिये कई तरह के प्रयास किया जाना वांछित था। जिसका लोग अंदाजा लगा रहे थे। जानकारी पाकर चाईल्ड लाईन के अधिकारी भी मौके और पहुंचे थे और इसे नशा मुक्ति केंद्र या अन्य राहत केंद्रों पर भर्ती कराने की बात कही जा रही थी,लेकिन पुलिस अभिरक्षा में अस्पताल में भर्ती उक्त युवती अचानक कैसे घाटशिला रेलवे स्टेशन पर भटकती नजर आयी। जिसे इसके संबंध में देश लाइव न्यूज़ पर समाचार पढ़कर इसकी जानकारी पाने वाले घाटशिला रेलवे स्टेशन पर रहने वाले टेम्पू चालकों ने किसी अनहोनी और अवांछित घटना की आशंका से उसे पहचान कर पकड़कर उसे अपने ऑटो में बिठाकर घाटशिला थाना पहुंचाया। इस संबंध में जब चाइल्ड लाइन के पदाधिकारी राकेश मिश्रा से पूछा गया तो वो भी पुलिस की जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि वो तो पुलिस की अभिरक्षा में आ गयी है अब जो करना है वह पुलिस ही करेगी।
जिस पीड़ित युवती को गालूडीह पुलिस ने अपनी अभिरक्षा में अनुमंडल अस्पताल घाटशिला में बदहवासी सी हालत में भर्ती किए थे. उसे अच्छी तरह से इलाज जांच करने के लिए रेफर करा एमजीएम हॉस्पिटल जमशेदपुर, चाइल्ड लाइन अथवा नशा मुक्ति केंद्र में होते हुए दिखनी चाहिए थी. वहीं युवती महज कुछ घंटे भी नहीं बीते होंगे. कि आज गुरुवार 18 सितंबर 2025 को पुनः संध्या समय घाटशिला स्टेशन में घूमते रोते बिलखते हाथ पसारे खाना मांगते पाई गई. स्टेशन के आसपास कुछ लोगों ने उस युवती को कुछ खिलाने के साथ ही किसी अनिष्ट अनहोनी घटना घटित ना हो. इस आशंका वजह से मानवता का परिचय देते हुए उस युवती की सुरक्षा के दृष्टिकोण से घाटशिला थाना के अभिरक्षा में सुपुर्द कर दिया. यूवती से संबंधित इस संवाददाता ने दूरभाष पर जानकारी मांगने पर गालुडीह पुलिस थाना प्रभारी अंकु ने बताया कि मेरे निर्देशानुसार उस युवती को पुलिस अभिरक्षा में अनुमंडल अस्पताल घाटशिला से लगभग 11 बजे जमशेदपुर एमजीएम मेडिकल अस्पताल में चेकअप के लिए भेज दिया गया है.।दूरभाष पर बातचीत के क्रम में जब गालूडीह पुलिस को बताया गया कि उक्त युवती घाटशिला में संध्या समय रोते बिलखते घूमते खाने को मांग रही थी. जिसे कुछेक लोगों ने देखा और उसे कुछ खाने को भी दिया. और घाटशिला पुलिस के सुपुर्द कर दिया. इस पर प्रभारी ने कहा कि उनको मुसाबनी ईलाज के लिए भेजा गया है. मेरे द्वारा पूछने पर की मुसाबनी में कौन सा इलाज हेतु भेजा गया है. इस पर बेस्ट सटीक जवाब नहीं दे पाए और कहने पर कि वह युवती घाटशिला थाना में ही है।
अब सवाल यह भी उठता है को जिस पीड़ित लड़की को गालूडीह पुलिस ने अपने अभिरक्षा में एमजीएम अस्पताल पहुंचाया फिर उसे वहां से मुसाबनी अस्पताल क्या चीज के लिये लाया गया और कौन लाया। और फिर मुसाबनी अस्पताल से वह घाटशिला रेवले स्टेशन पर भटकती कैसे दिखी। यह बड़ा सवाल खड़ा करता है और सोशल ओर जस्टिस का ध्येय पुलिस के मतलब को बेमानी साबित करती है।
और बार बार यह सवाल खड़ा करती है कि
आखिरकार गालूडीह पुलिस उस पीड़ित युवती को एमजीएम में जांच करवाने नाम को लेकर गालूडीह पुलिस अपनी जिम्मेदारी से बचने और कोसों दूर भाग क्यों रही है?
इस बात पर लोगों द्वारा चर्चा बड़े जोरों से चौक-चौराहों पर हो रही है. कि गालूडीह पुलिस उस युवती के प्रति इतनी उदासीनता लचर रवैया अपनाते हुए अपने कर्तव्य से क्यों विमुख हो रही हैं? यह बात गालुडीह पुलिस के लिए अपने आप में बहुत बड़ा सवाल खड़ा करता है?
गौरतलब हो कि मंगलवार 16 सितंबर 2025 को देर रात्रि गालूडीह पुलिस कि रात्रि गश्ती दल ने राष्ट्रीय राजमार्ग 18 ओवर ब्रिज से रात्रि लगभग 2 बजे अकेली हालत में एक अकेली युवती को पाया था. पुलिस के अनुसार उसने युवती को अनुमंडल अस्पताल घाटशिला में अपनी एक महिला और एक पुरुष चौकीदार अभिरक्षा में इलाज के लिए भर्ती कर छानबीन में जुट गई थी. युवती अपने आप को पश्चिम बंगाल के दीघा क्षेत्र की रहने वाली बताते हुए अपने साथ हुए ज्यादती अत्याचार की दास्तां पुलिस, घाटशिला जिला परिषद सदस्य करण सिंह उर्फ टिंकू एवं चाइल्ड लाइन के जिला कोऑर्डिनेटर राकेश मिश्रा भी जानकारी लेने पहुंचे थे. इन तीनों के समक्ष भी उसने अपनी दुख भरी व्यथा को उजागर किया था. चाइल्ड लाइन के राकेश मिश्रा उस पीड़ित युवती के समक्ष हर संभव मदद करने और सकुशल घर पहुंचाने की भी बात उनके द्वारा कहीं गई थी. पर आज महज कुछ ही घंटे बीते होंगे कि उस युवती को संध्या समय रोते बिलखते और खाने के लिए हाथ पसारते युवती को घाटशिला स्टेशन में देखकर लोग बरबस ही हैरत हैरान से चौंक पड़े.
आखिर चौंकना स्वाभाविक भी था. जिस युवती के बारे में मीडिया में यह खबर आई थी. कि उस युवती को सही ढंग से गालुडीह पुलिस और चाइल्ड लाइन मिलकर इलाज करवाएगी, उसके घर पहुंचाएगी. पर ऐसा तो कुछ होते ना देखकर लोगों द्वारा बरबस ही चौंकना जायज ही है. लोगों द्वारा इस बात पर दुख जताया जा रहा है कि पुलिस लोगों को अपनी सुरक्षा के तहत शरण देते हुए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करने के प्रति मुस्तेदी से प्रयासरत रहतीं हैं. पर यहां पर तो पुलिस द्वारा विपरीत दृश्य दिखाई दे रहा हैं. वह भी एक पीड़ित युवती के प्रति सौतेला पन व्यवहार का रुख अपनाए हुए हैं. लोगों द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि पुलिस अति असंवेदनशीलता परिचय इस प्रकरण में दे रही हैं. गालुडीह पुलिस शायद पुलिस का मतलब ही नहीं जानती है? शायद इसी वजह से इस अबला पीड़ित युवती को अस्पताल से ले जाने के क्रम में ही रास्ते में अपने पुलिस वहां से उतारकर से पल्ला झाड़ते हुए अकेला छोड़ दिया. सवाल यह है की अकेला छोड़ने की और अपने कर्तव्य के पालन में आधी अधूरी रूप से उस युवती के प्रति सजगता से कार्य न करते हुए पुलिस अपना पल्ला क्यों झाड़ रही हैं? अनुमंडल अस्पताल घाटशिला से एमजीएम ले जाने के नाम पर उस पीड़ित युवती को क्यों किस लिए किसके भरोसे छोड़ कर अपने कर्तव्य की इतिश्री को पुणे विराम देने की ताक में और मुंह मोड़ने की कवायद में जुट गई है? चाइल्ड लाइन के जिला कोऑर्डिनेटर राकेश मिश्रा अनुमंडल अस्पताल में पीड़ित युवती को देखने आए रहे पर उनकी तरफ से भी क्या पहल हो रही है? इस बात पर गालुडीह एवं घाटशिला क्षेत्र के लोगों में सैकड़ों प्रश्न रूपी शंकाएं घुमड़ते उमड़ने लगी हैं. इस बात पर लोगों द्वारा तरह तरह की चर्चाएं एवं सन्देह गालूडीह पुलिस और वर्तमान थाना प्रभारी अंकु द्वारा किए जा रहे कार्य प्रणाली कि भुमिका पर ही किया जा रहा हैं ?
