रेफर करने के चक्कर मे घाटशिला अनुमंडल अस्पताल में गई नवजात की जान,चिकित्सकों की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल…

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उमेश कांत गिरि

घाटशिला

 अनुमंडल अस्पताल घाटशिला में इलाज के दौरान शनिवार 20 सितंबर 2025 को नवजात शिशु कि मौत हो गई. इस पर हंगामा करते हुए जांच चिकित्सक पर इलाज ठीक ढंग से न करने का लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा मचाया. इस दरम्यान परिजन और उनके साथ आए हुए लोग पूरे आक्रोश में दिखते हुए चिकित्सक को मारने-पीटने पर आमादा दिख रहे थे. ऐसी स्थिति देखकर अस्पताल वालों ने पुलिस बुला ली.
मामला यह है कि घाटशिला स्थित काशिदा न्यू कॉलोनी निवासी राजेन दास ने बताया कि वह अपनी एक माह की नवजात शिशु बच्ची को सांस लेने में दिक्कत की समस्या पर शुक्रवार को अनुमंडल अस्पताल लाया था. इस पर शिशु रोग चिकित्सक भोगांन हेंब्रम ने उसकी जांच की और बच्ची को ठीक-ठीक बताते हुए घर वापस ले जाने को कहा, शनिवार को बच्ची की तबीयत दुबारा बिगड़ गई तो पुनः परिजनों द्वारा वापस अनुमंडल अस्पताल लाया गया.

जहां उपस्थित चिकित्स आर एंन टुडु ने बच्ची की प्रारंभिक जांच कर उसे वेंटिलेटर की जरूरत बताते हुए एमजीएम रेफर कर दिया.जिसके तुरंत बाद अस्पताल के डॉक्टर ने उसे जांच कर मृत घोषित कर दिया. परिजनों ने बताया कि शिशु का जन्म 21 अगस्त को एमजीएम में नॉर्मल डिलीवरी द्वारा हुआ था. इसके बाद उसे किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं थी.
इस पर शुरुआती दौर में बच्ची की जांच कर चुके चिकित्सक डॉक्टर भोगांन हेंब्रम ने बताया कि शुक्रवार को जिस दिन बच्ची को परिजनों ने लाया उस दिन शुक्रवार को उनका पोस्टमार्टम करने का ड्यूटी था. अन्य विभाग में ड्यूटी रहने के पश्चात नवजात बच्ची की जांच किया. उन्होंने शिशु कि जांच में कोई लापरवाही नहीं बरती है. हो सकता है की परिजनों द्वारा शिशु को रात या सुबह में दूध पिलाने के क्रम में बच्ची की नाक में संभवतः दूध चली गई होगी. जिससे उसे बच्ची की स्थिति बिगड़ी होगी. इसलिए परिजनों का मुझ पर लापरवाही का आरोप लगाया जाना निराधार है.
इस संदर्भ में चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर आर एन सोरेन ने बताया कि मृत बच्ची के परिजनों द्वारा उपचार में लापरवाही का आरोप लगाया गया है. मामले में जांच की जाएगी गंभीर स्थिति में उसे एमजीएम रेफर किया गया था. उपस्थित डॉक्टरों से जानकारी ली जाएगी.
…रेफर-रेफर और रेफर का खेल चल रहा है. मरीजों के लिए घाटशिला अनुमंडल अस्पताल बना सफेद हाथी.
इस पर आक्रोशित नाराजगी भरे स्वर में परिजनों ने कहा कि करोड़ों रुपए खर्च कर यह अनुमंडल अस्पताल सिर्फ दिखावे के रूप में सफेद हाथी साबित हो रहा है. यह अस्पताल सिर्फ और सिर्फ रेफर… रेफर… और रेफर का खेल ही करने के रूप में प्रचलित है. यहां पर सुविधा के नाम पर सुविधाविहीन होकर यह अनुमंडल अस्पताल खुद लाइलाज मरीज बन चुका है. लोग आते हैं की अनुमंडल अस्पताल में जान बच जाएगी. पर अनुमंडल अस्पताल कथनी और करनी में उल्टा ही साबित हो रहा है. आखिरकार लोग प्राइवेट अस्पताल में अपनी इलाज कराने में विवशतावश जाते हैं। गरीब गुरबा आखिर जाए तो, कहां जाए❓

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Author: Desh Live News

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