- झामुमो मुझे मुख्यमंत्री काल में जनता के हित संबंधित कार्य करने में बारंबार बाधक उत्पन्न और मेरे सम्मान को अनेकों बार अपमान कर चोट पहुंचाई.
- उनके विचारधारा से मेरे विचारधारा मेल नहीं खाई इसीलिए दिया त्यागपत्र.
- भाजपा को जीताकर इस अपमानित का जनता जोरदार ले बदला -: पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन.
उमेश कांत गिरि
धालभूमगढ़/घाटशिला
धालभूमगढ़ प्रखंड के जूनबनी पंचायत अंतर्गत राहरगोड़ा गांव में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने अपने पुत्र और भाजपा के प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन की समर्थन में ग्रामीणों से सहयोग की अपील की।
घाटशिला के धालभूमगढ़ प्रखण्ड के जूनबनी पहुंचने पर ग्रामीणों ने चम्पई सोरेन का पारंपरिक रीतिरिवाज के साथ स्वागत किया।
इस मौके पर ग्रामीण महिलाओं ने पैदल चल रहे पूर्व मुख्यमंत्री चंपी सोरेन को अपने संथाली समाज के रीति रिवाज अनुसार हर 30 सेकंड के अंतराल पर रास्ते में जगह-जगह रोक कर पारंपरिक रीति रिवाज के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री का सभा स्थल तक पैदल आने के क्रम में स्वागत कर पाव थाली में रखकर लोटे से जल द्वारा धोएं जा रही थी।
पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन का स्वागत गांव में रुकने के क्रम में पूर्व मुखिया आरशु मनी टुडू ने भी किया. चुनावी सभा को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय मैं भी झारखंड मुक्ति मोर्चा का सिपाही और पार्टी रूपी भूमि को सिंचित कर ब वृक्ष बनाकर ब़ड़ा आकार पेड़ बनाने वालावाला था. मगर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मेरे सम्मान को चोट पहुंचाया और अपमानित किया. मैं दुखी होकर पार्टी का त्याग किया. उसके विचारधारा वर्तमान में मेरे विचारधारा से मेल नहीं खा रही थी. मैंने 5 महीने के शासनकाल में ही कई सारे जनता के हित के लिए कार्य किए हैं और भी करने वाला था. “मैया योजना” 200 यूनिट बिजली फ्री कर लागू का योजना देने वाला मैं ही था.
जिसका लाभ और क्रेडिट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ले रहे हैं. साथ ही अपनी संस्कृति और पहचान को बचाने के लिए तथा आजकल के बच्चों के लिए स्कूलों में कक्षा एक से ही संथाली भाषा की पढ़ाई शुरू करवाने के लिए आदेश निर्गत किया था. 20,000 शिक्षकों की नियुक्ति का भी आदेश दिया था. मगर आज उस आदेश को ठंडा बस्ते में पड़ी हुई है. कहने को तो आबुआ राज कहा जाता है. मगर यह आबुआ राज नहीं यह बाबुओं का राज चल रहा है. मगर राज्य में कहीं भी पेशा कानून नहीं लागू है. जो हमारी मूल पहचान है. आदिवासियों के लिए बना सीएनटी कानून का भी शक्तिशाली से लागू नहीं किया जाता है. और विदेश से आए लोगों को प्रश्रय दिया जा रहा है. जो लोग विदेश से आ रहे हैं वह हमारे समाज में घुसपैठ कर नुकसान करने का कार्य कर रहे हैं. और हमारी जमीनों पर कब्जा बना रहे हैं. समाज में हमें अल्पसंख्यक बना रहे हैं. इसलिए हमें अपनी संस्कृति और सम्मान को बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन को कमल छाप पर अपना मतदान देकर अपनी स्थिति को मजबूत बनाना है. मौके पर भाजपा प्रत्याशी बाबुलाल सोरेन, विक्रम सिंह समेत कई भाजपा नेता मौजूद थे. इस सभा में ग्रामीणों की काफी संख्या में भीड़ रहते हुए बच्चे, युवा, महिला-पुरुष मौजूदगी में बीच-बीच में खुशी और जोश से चंपई सोरेन और बाबूलाल सोरेन का नाम लेकर जयकारे लगाते जा रहे थे.
