घाटशिला
धालभूमगढ़ प्रखंड अंतर्गत मौदाशोली पंचायत के भारूडीह गांव के परंपरागत ग्राम प्रधान इंद्रजीत किस्कू को हटाकर फुदान बास्के को ग्राम प्रधान बनाने पर विवाद फिर से तूल पकड़ने लगा है. इस पूरे विवाद में अंचल पदाधिकारी की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। और उसके खिलाफ ग्रामीण एकजुट होकर आगे का निर्णय लेने की तैयारी में जुट गए हैं.
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार धालभूमगढ़ प्रखंड के मौदाशौली पंचायत अंतर्गत भारूडीह गांव में परंपरागत रूप से इंद्रजीत किस्कू ग्राम प्रधान के रूप में कार्यरत रहे हैं. फरवरी 2025 में उनके ऊपर कुछ ग्रामीणों के द्वारा आरोप लगाए गए जिस पर अंचल अधिकारी धालभूमगढ़ में इंद्रजीत किस्कू से लिखित स्पष्टीकरण मांगा। जिसका स्पष्टीकरण ग्राम प्रधान ने ससमय जमा भी कर दिया। लेकिन उनके स्पष्टीकरण पर निर्णय लेने की बजाय परंपरागत व्यवस्था को अनदेखा कर, फर्जी तरीके से ग्राम सभा कर फुदान बास्के को ग्राम प्रधान नियुक्त कर दिया गया. इस नियुक्ति के खिलाफ इंद्रजीत किस्कु ने अंचलाधिकारी के साथ साथ जिला के सभी वरीय अधिकारियों को आवेदन देकर खारिज करने की मांग की, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से ग्राम प्रधान के साथ-साथ ग्रामीणों में रोष व्याप्त है. इंद्रजीत किस्कू ने पूरे प्रकरण में अधिकारियों की भूमिका को पक्षपातपूर्ण बताते हुए कहा कि एक षड्यंत्र के तहत उन्हें पद से हटाया गया है,और चुकि वह अपने ग्रामीण क्षेत्र में किसी भी अनैतिक कार्य को नहीं होने देते थे। इसलिए ग्रामीणों का एक धड़ा को बहला फुसला कर उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए.
उन्होंने झारखंड के परंपरागत स्वशासन व्यवस्था में छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 के सेक्शन 74 ए चैप्टर 15 धारा 127, 133 139, 139 ए तथा 68 का हवाला देते हुये कहा कि ग्राम प्रधान की नियुक्ति जिले की उपायुक्त के द्वारा ही की जा सकती है. ग्राम प्रधान का पद वंशानुगत तरीके से होगा, ग्राम प्रधान को केवल न्यायालय के आदेश के अतिरिक्त किसी भी परिस्थिति में पदमुक्त नहीं किया जा सकता है। और न हीं नियमानुसार नियुक्त ग्राम प्रधान से उनकी प्रधानी छीनी जा सकती है. इस आदेश के बावजूद प्रखंड के अधिकारियों ने इसकी अवहेलना करते हुए फुदान बास्के को वहां का ग्राम प्रधान नियुक्त कर दिया। जो सीएनटी एक्ट का खुलेआम उल्लंघन है. उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान समय में ग्राम प्रधान भोले भाले ग्रामीणों को बहला फुसलाकर पुरे पंचायत में अनैतिक कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। और वह प्रखंड के पदाधिकारी से अच्छे संबंध बनाए हुए हैं। जिसके कारण उन्हें जानबूझकर लूट खसोट के लिए ही ग्राम प्रधान बनाया गया है। इंद्रजीत किस्कू ने उपायुक्त और अन्य अधिकारियों से मांग की है। कि उन्हें उनका अधिकार दिया जाए. उन्होंने अपने आवेदन में यह भी कहा है कि झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 के चैप्टर 2 सेक्शन 8 के तहत अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभा बैठक की अध्यक्षता परंपरागत ग्राम प्रधान द्वारा ही किए जाने का उल्लेख है। लेकिन इन सभी अधिनियमों का उल्लंघन कर अधिकारियों ने गलत तरीके से वहां का ग्राम प्रधान नियुक्त कर दिया है। इस पूरे घटनाक्रम में बाबूलाल किस्कू और जगत मुर्मू का बड़ा योगदान है. उन्होंने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर न्याय दिलाने की मांग की है.










