हजारीबाग, झारखंड: हजारीबाग जिले के बड़कागांव में जंगली हाथियों का उत्पात पिछले एक सप्ताह से जारी है। 20/25 की संख्या में हाथियों का आतंक बड़कागांव के बादाम गोंडलपुरा के बाद चंदौल पंचायत के लकुरा गांव के करमा टोला में बिरहोर परिवार को अपना निशाना बनाया। हाथियों ने बिरहोर परिवारों के घर में तोड़ फोड़ की और घर के खिड़की दरवाजा तोड़ कर घर में रखे चावल समेत अन्य तरह के अनाज खा गए! पीड़ित बिरहोर परिवार के लोगों ने बताया कि वन विभाग बड़कागांव की टीम हाथी को ग्रामीणों द्वारा भगाए जाने के बाद खाना पूर्ति के लिए आती है।हाथी भगाने के लिए पटाखा या अन्य सामग्री भी नहीं प्रदान की है।हाथियों का कारीडोर मिटने के बाद से हाथी विचरण कर रहे हैं मानव आबादी वाले क्षेत्रों में।
स्थानीय लोगों ने बताया कि दस वर्ष पूर्व जंगली हाथियों का झुंड बड़कागांव केरेडारी टंडवा क्षेत्र में आते थे लेकिन मानव आबादी वाले क्षेत्रों में प्रवेश नहीं करते थे। जब से एनटीपीसी के पकरी बरवाडीह कोल माइंस से कोयला ढुलाई के लिए कन्वेयर बेल्ट का निर्माण हुआ है तब से हाथी मानव आबादी वाले क्षेत्रों में आ रहे हैं। क्योंकि हाथियों के कारीडोर वाले जंगली क्षेत्र में एनटीपीसी के पकरी बरवाडीह कोल माइंस से कोयला ढुलाई के लिए कन्वेयर बेल्ट बना ली है। कन्वेयर बेल्ट बन जाने से हाथियों के कारीडोर वाले मार्ग पर भारी मशीनरी और मानव आबादी के शोर शराब और चौबीसों घंटे हो रहे चहल कदमी से हाथी भटक कर मानव आबादी वाले क्षेत्रों में आ रहे। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन हजारीबाग और राज्य सरकार से हाथियों के कारीडोर को पुनर्जीवित करने की मांग की है।
वहीं इस पूरे मामले पर हजारीबाग के वरिष्ठ पत्रकार सह पर्यावरण विद मुरारी सिंह भी ये बात कहते है कि कहीं न कहीं हाथी के आने जाने वाले रास्ते में आदमी का चहल कदमी और कन्वेयर बेल्ट की आवाज ने हाथी को जंगल में रहने वाले लोगों के घर के तरफ मोड दिया है जिससे वहां जा कर हाथी तोड़ फोड़ जैसी घटना करते है।
