बाबा बैजनाथ धाम से सावन के पवित्र महीना को लेकर के देश लाइव न्यूज़ की एक विशेष रिपोर्ट।

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देवघर, झारखंड : सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ पर जल चढ़ाने के साथ साथ बेलपत्र चढ़ाने का एक विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ को बेल पत्र बहुत ही प्रिय है। बिना बेलपत्र के भगवान भोलेनाथ का पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है।

माना जाता है कि जो भक्त सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं उनके जीवन की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

बेलपत्र के सेवन से कई रोगों का होता है नाश:

सावन महीने के दौरान देवघर में भी बेलपत्र की खपत अत्यधिक होती है।क्योंकि जो भी भक्त आते हैं वो बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग पर गंगाजल के साथ-साथ बेलपत्र भी चढ़ाते हैं। बेलपत्र की विशेषता को लेकर बैद्यनाथ धाम मंदिर के वरिष्ठ पंडा दुर्लभ मिश्रा बताते हैं कि बेल का पेड़ एक औषधि गुणों से भरा पेड़ माना जाता है।बेलपत्र या बेल का फल खाने से शरीर की कई बीमारियां समाप्त होती है।

बेलपत्र के पेड़ को अमृत वृक्ष भी कहा जाता है:

पंडा दुर्लभ मिश्रा ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार किसी भी प्रकार का बेलपत्र जो भी भक्त बाबा के शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। उनके तीन जन्म के पाप धूल जाते हैं। पंडा दुर्लभ मिश्रा बताते हैं बेलपत्र में रजो गुण, सतो गुण और तमो गुण का समावेश है। यह तीनों गुण मनुष्य के भाग्य पर सीधा असर करता है। इसलिए बेलपत्र का सेवन करने से मनुष्य के भाग्य में भी परिवर्तन होता है। बेलपत्र के पेड़ को अमृत वृक्ष भी कहा जाता है और इसके पत्ते को अमृत पत्ता के नाम से भी जाना जाता है।

 

भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है बेलपत्र:

पौराणिक कथाओं के अनुसार यह भी बताया जाता है कि जब भगवान भोलेनाथ ने विषपान किया था तो उन्हें शांत करने के लिए उन पर बेलपत्र चढ़ाए गए थे।इसलिए भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र बहुत प्रिय है।

कई प्रकार के बेलपत्र पाए जाते है, 21 मुखी बेलपत्र सबसे कम पाया जाता है:

बेलपत्र के प्रकार को लेकर पंडित दुर्लभ मिश्रा बताते हैं कि बेलपत्र 21 मुखी तक होते हैं। तीन मुखी,चार मुखी,छह मुखी,सात मुखी,नौ मुखी, ग्यारह मुखी जैसे 21 मुखी तक होते हैं।सबसे कम 21 मुखी बेलपत्र पाए जाते हैं।उसके बाद 14 मुखी और 11 मुखी पाए जाते। सबसे ज्यादा पांच मुखी,सात मुखी और तीन मुखी बेलपत्र पाए जाते हैं।

हर सोमवारी को लगाए जाते हैं बेलपत्र की प्रदर्शनी:

बैद्यनाथ धाम मंदिर के पंडित झलक बाबा बताते हैं कि किसी भी प्रकार का बेलपत्र चढ़ाने से भक्तों को प्रभु का सीधा आशीर्वाद प्राप्त होता है।क्योंकि शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ना ही बहुत पुण्य माना जाता है। सावन महीने के हर सोमवारी के दिन मंदिर प्रांगण में बेलपत्र की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है।

 

पंडा समाज राज्य के घने जंगलों से तोड़ कर लाते है बेलपत्र:

प्रदर्शनी में लगाए जाने वाले बेलपत्र मंदिर के अनेकों पुजारियों द्वारा झारखंड के विभिन्न जंगलों से तोड़ कर लाए जाते हैं।बैद्यनाथ धाम मंदिर के पंडा टोली बनाकर राज्य के पलामू,चाइबासा,हजारीबाग और रांची के घने जंगलों से बेलपत्र तोड़ कर लाते हैं।

बड़ी बारीकियों के साथ तोड़े जाते हैं बेलपत्र:

विभिन्न जंगलों से बेलपत्र तोड़ने के लिए मंदिर के पुजारियों द्वारा बड़ी बारीकी अपनाई जाती है।वैसे बेलपत्र तोड़े जाते हैं जो देखने में आकर्षित एवं खूबसूरत हो। बेलपत्र तोड़ने के दौरान पंडा की टोलियों को कई रात जंगलों में ही गुजारना पड़ता है। पूरे सावन महीने के दौरान पंडा मंगलवार को जंगलों में जाते हैं और शनिवार तक मंदिर में सुंदर और आकर्षक बेलपत्र तोड़कर लाते हैं।

सावन में बढ़ जाती है बेलपत्र की मांग:

वही मंदिर में स्टाल लगाकर श्रद्धालुओं के बीच बेलपत्र बेचने वाले ने कहा कि सावन के महीने में बेलपत्र की बिक्री बढ़ जाती है। साधारण स्तर के भी बेलपत्र पांच सौ रूपये प्रति कट्टा बिकता है।

 

मंदिर के पुजारियों ने बताया कि सावन के महीने में मंदिर के पंडा द्वारा जो बेलपत्र जंगलों से तोड़े जाते हैं। वो सभी बेलपत्र समाज और विश्व के कल्याण के लिए शिवलिंग पर चढ़ा दिए जाते हैं।

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Author: Desh Live News

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