डायल-108, हेलो… हेलो… 108 प्लीज… प्लीज… जल्दी आइए. मेरे घर में मरीज है, इनका तबीयत बहुत खराब है, जल्दी आइए. मेरे घर का पता है, फला… फला… परिवार जनों द्वारा चंद सेकंड बाद-बाद, बार-बार फोन से संपर्क कर बुलाया जाता रहा….

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  • “नौ दिन चले, अढाई कोस” वाला कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है. यहां की 108 एम्बुलेंस स्वास्थ्य सेवा.
  • महज लगभग 5 किलोमीटर सफर तय कर मरीज के घर पहुंचने में लगे 108 एंबुलेंस सेवा को लगभग 2 से 3 घंटे वक्त.
  • 108, हेलो… हेलो… 108 प्लीज… प्लीज… जल्दी आइए. मेरे घर में मरीज है, इनका तबीयत बहुत खराब है, जल्दी आइए. मेरे घर का पता है, फला… फला… परिवार जनों द्वारा चंद सेकंड बाद-बाद, बार-बार फोन से संपर्क कर बुलाया जाता रहा. हर संपर्क से आ रहा हूं… आ रहा हूं… का जवाब मिलता ही रहा. 2-3 घंटे विलंब से मरीज के घर 108 पहुंची.
  • इलाज की अभाव में मरीज़ कांडे तियू की गई जान. समय पर अस्पताल पहुंचने से बच सकती थी जान.
  • नौ दिन चले अढ़ाई कोस. कहावत को चरितार्थ कर दिखाया महज 5 किलो मीटर सफर को तय कर मरीज के घर पहुंचने में 108 को लग गए 2 से 3 घंटे.

उमेश कांत गिरि

घाटशिला

घाटशिला अनुमंडल अस्पताल से बनबेड़ा गांव पहुंचने में 108 एंबुलेंस सेवा को लग गए 2 से 3 घंटे जबकि अस्पताल से बनबेड़ा गांव महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे आप सरकारी सिस्टम की लापरवाही कहें या विभागों में कार्यरत बाबूओं की मनमानी। इसी सिद्धांत को अपनाते हुए लेट लतीफ से जगह पर पहुंचना घाटशिला में एक सिस्टम सा बनता जा रहा है। जो की अनवरत जारी रखते हुए झारखंड सरकार के सरकारी सिस्टम प्रत्येक विभागो में लापरवाही का सिलसिला जारी रहते हुए कभी न थमने का सिस्टम बनते हुए पर्याय बन चुका है। इसी कड़ी में स्वास्थ्य सेवा जो की मानव जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी है। अगर मानव जीवन में शरीर स्वस्थ नहीं तो कितना भी धन दौलत संपदा हो सब इंसानों के सामने तुच्छ और नग्नय की वस्तु है। इसके अलावे और कुछ भी नहीं है। इसी सरकारी सिस्टम की धोर लापरवाही से जान की भेंट चढ़ गया युवक काडे तियू। इसे आप सिस्टम अथवा संयोग कहें या साहबों की मनमानी। घाटशिला में याद होगा अभी कुछ दिनों पूर्व ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर दुर्घटना घटना से बनबेड़ा गांव के ही बालक मुंडा नामक व्यक्ति की मौत घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी। इस प्रकरण में भी संभवत: सरकारी सिस्टम के तहत साहेब वार्ता करने 9 घंटे बिलंब से पहुंचे थे। इससे थक हार कर आक्रोषित परिजनों ने 9 घंटे तक का राष्ट्रीय राजमार्ग 18 रोड जाम कर तामुकपाल में बैठ गए थे।
इसी कड़ी से जुड़े हुए एक मामला आज घाटशिला में मरीज के परिवारजनों और लोगों को देखने को मिला। 108 की सरकारी सेवा सिस्टम कितनी सतर्क और कारगर है। इसकी क्रियाकलाप से संबंधित वाक्या जानकर आप धोर चिंतन के साथ ही सकते में कुछ क्षण के लिए निश्चित पड़ जाएंगे। उक्त मामला घाटशिला थाना क्षेत्र अंतर्गत काशिदा पंचायत के बनबेड़ा निवासी मृतक कांडे तीयु (35), सोमवार की सुबह अनुमंडल अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया. जानकारी के अनुसार मृतक काडे तियू राजनगर गोविंदपुर का रहने वाला है। बनबेड़ा ससुराल में वह यहां पर लगभग चार साल से यहीं पर रहकर काम कर अपना परिवार पालता था. मृतक की पत्नी ननीका तियू ने बताई की रविवार शाम के समय अचानक सर में हल्का-हल्का दर्द था. लेकिन कहने लगा कि थोड़ा सा दर्द है ठीक हो जाएगा. जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया। रात लगभग 3 बजे बहुत ज्यादा दर्द होने लगा. तो अनुमंडल अस्पताल ले जाने के लिए 108 को कई बार फोन किया गया। लेकिन वह समय पर ना पहुंच कर भोर सुबह के 5 -6 बजे 108 घर पहुंचा. और अनुमंडल अस्पताल लेकर आया. जहां अनुमंडल अस्पताल के चिकित्सकों ने मेरे पति को मृत घोषित कर दिया. परिवार के दबाव के कारण मृतक का अंत परीक्षण अस्पताल में किया गया. कि अचानक से हल्का सा सर दर्द में ही किस कारणवश उसके जान चली गई. किसी कार्य वर्ष घाटशिला जिला परिषद सदस्य करण सिंह उर्फ टिंकू घाटशिला अनुमंडल अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने अचानक देखा तो परिवार जनों से और चिकित्सकों से जानकारी हासिल की और परिवार की मदद करने के लिए जिला परिषद सदस्य कर्ण सिंह ने आर्थिक सहयोग भी किया। काशिदा पंचायत के मुखिया तारामणि मुंडा के पति सपन मुंडा ने भी परिवार के सदस्यों को काफी मदद की. मृतक के एक 8 वर्षीय बड़ी पुत्री सहित दो छोटे पुत्र है।आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते हैं। माता-पिता ईंट भट्ठे में काम करते हैं। वर्तमान में पिता काडे तियू के देहांत से मां ननिका तियु के ऊपर सारी जिम्मेदारी आन पड़ी हैं।

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Author: Desh Live News

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