- संदर्भ: तामुकपाल राष्ट्रीय राजमार्ग 18 सड़क पर दुर्घटना से गरीब अस्थाई चौकीदार बालक मुंडा की राष्ट्रीय राजमार्ग 18 सड़क पर दुर्घटना में दर्दनाक मौत.
- मौत से मां-पुत्र के उठे दर्द को प्रशासन द्वारा उचित मुआवजा दिलाने का वादा कर दर्द बजाए करने के कम, वादा खिलाफी कर उल्टे किया पीड़ित परिजनों सहित 46 ग्रामीणों पर एफआईआर 353 ग़ैर जमानती धारा लगा किया मामला दर्ज, बढाई परेशानी और दिए जा रहे, नमक और तीख़ा मिर्च छौका के जख्म का मर्ज.
- पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन मृतक बालक मुंडा के गांव पहुंचे पीड़ित परिजनों सहित ग्रामीणों को भरोसे का लगाया मलहम.
- मृतक के परिजन को मिलेगी उचित मुआवजा. ग्रामीणों पर पुलिस द्वारा दर्ज मामले होंगे वापस. साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग 18 के जिम्मेवार ठेकेदारों पर होगी कार्रवाई, डीसी से हुई बात – पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन.
उमेश कांत गिरि
घाटशिला
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने मृतक बालक मुंडा के गांव तामुकपाल पहुंचकर मृतक बालक मुंडा के परिजन और उन ग्रामीणों से भी मुलाकात कर हाल-चाल जाना। उन्होंने भय ग्रस्त ग्रामीणो से भी मुलाकात करते हुए सारी वस्तुस्थिति की भी जानकारी लिया जिन पर अंदेशा है, कि पुलिस ने सड़क जाम करने के आरोप में गैर जमानती धारा 353 के तहत मामला दर्ज किया गया है। सारी बातों की जानकारी पूर्व मुख्यमंत्री चैंपेश्वर में जानने के उपरांत गांव वालों को आश्वस्त करते हुए कहा कि धैर्य रखें आपको उचित मुआवजा मिलेगा आप इसके हकदार है और किसी भी ग्रामीण के ऊपर किए गए केस मुकदमा वापस होगा। और राष्ट्रीय राज्य मार्ग की मरम्मती में लगे गुल लापरवाही बढ़ते जाने वाले ठेकेदार पर होगी कार्रवाई। ग्रामीण ने अनुमंडल अधिकारी सुरेश चंद्र के बारे में विस्तृत रूप से शिकायतें करते हुए कहा कि जाम में वह लगता है कि जानबूझकर काफी देरी से वार्ता हेतु आए जबकि महज 5 किलोमीटर के सफर में उनको इस धरने स्थल पर वार्ता के लिए 11 घंटे का सफर तय करने में लग गए। इस तरह की गैर जिम्मेदाराना हरकत की कार्य-प्रणाली पर अनेकों सवाल खड़े होते हैं। ऐसे जिम्मेदारना अधिकारियों से न्याय की आशा करना पूरी तरह से बेमानी साबित होगी। यह बात बिल्कुल सौ टका फिसदी सोचने वाली बात होगी कि अनुमंडल कार्यालय से तामुकपाल स्थित धरने स्थल तक लगभग 5 किलोमीटर के सफर को तय करने में 11 घंटे लग गए तो किसी सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में किसी बड़ी घटना के घटित हो जाने पर अनुमंडल अधिकारी को सफर तय कर पहुंचने में कितने घंटे लगेंगे ? यह बहुत बड़ा यक्ष प्रश्न जाम स्थल पर धरने पर बैठे जाम में फंसे पड़े उपस्थित लोगों के साथ ही वाहन चालकों के दिलों-दिमाग में आसमानी बिजली की तरह कौंध रहा था। जिसका जवाब केवल सिर्फ और सिर्फ ऐसे तेज तर्रार चतुरता से सराबोर कुशलता से परिपूर्ण प्रशासनिक नेतृत्वकर्ता अधिकारी के पास ढूंढने पर भी शायद ना हो ??❓
मालूम हो कि विगत 2 अक्टूबर 2025 को तामुकपाल में सड़क दुर्घटना में ट्रेलर वाहन के धक्के द्वारा ही गरीब राहगीर बालक मुंडा कि जान चली गई थी। इसके विरोध में गांव वालों ने लगभग 11 घंटे का सड़क जाम कर वही मुआवजे सहित कई मांगों को मनवाने हेतु शांतिपूर्ण तरीके से धरने पर बैठ गए थे। जाम को खत्म करने के पहल करने हेतु रात लगभग 9:00 बजे एसडीओ सुरेश चंद्र के द्वारा वार्तालाप कर जाम में बैठे ग्रामीणों द्वारा कई मांगों में शामिल अनुमंडल अधिकारी सुरेश चंद्र से सड़क जाम कर धरने पर बैठे हुए किसी भी व्यक्तियों पर प्रशासन द्वारा केस मुकदमा मामला दर्ज नहीं करने कि भी मांगे शामिल थी। इस मांग पर अनुमंडलाधिकारी सुरेश चंद्र ने हामी भरते हुए सहमति दी थी। एवं अन्य मांगों के सकारात्मक रूप से पहल करने पर सहयोग की बातें भी कि गई थी। इस पर ग्रामीणों द्वारा सड़क जाम खत्म कर दिया गया था।
ये हाकीम ! तेरे इस कठोर बेरुखी अव्यवहारिकता भरे वादा खिलाफी, पलटू राम रवैये पर असहाय गरीब मृतक बालक मुंडा की विधवा पत्नी सहित अन्य महिलाओं की दुर्दशा देख मुझे रोना आया..
वही 3 अक्टूबर 2025 को चंद घंटे भी नहीं बीते होंगे कि प्रशासन द्वारा 46 ग्रामीणों के ऊपर सड़क जाम कों लेकर गैर जमाने दिए धारा 353 के तहत पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया गया। इससे त्रस्त होकर घाटशिला एसडीओ कार्यालय के बाहर गेट पर प्रथम बार किसी ग्रामीण महिला ने अपने पति के शव के साथ ग्रामीण महिलाओं ने अनुमंडलाधिकारी के विरोध में नाराजगी का उबाल सहित फूटा गुस्सा, किया जोरदार धरना-प्रदर्शन.
घाटशिला सड़क हादसे में मारे गए तामुकपाल निवासी बालक मुंडा की मौत के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग 18 पर जाम करने के खिलाफ परिजन सहित लगभग 12 नामजद सहित अन्य 36 गरीब ग्रामीणों के खिलाफ घाटशिला पुलिस ने बड़ी तेजी से कुछ घंटे के अंदर ही आनन-फानन में जिस मुस्तैदी एवं तत्परता के साथ एक्टिव मोड कों दर्शाते हुए किया एफआईआर दर्ज. क्या यही है न्याय देने का मर्ज. न्याय और मुआवजा मांगने वाले पीड़ित गरीब परिवारों में दिखा एसडीओ का दोहरा चरित्र. भुक्तभोगियों पीड़ितों और गरीब ग्रामीणों पर दिखा अपराधी साबित कर देने वाला खुलेआम अजब-गजब प्रशासन का तुगलकी फरमान.
विरोध में मृतक की पत्नी ने अपने पति के शव को लेकर ग्रामीण महिलाओं के साथ घाटशिला एसडीओ कार्यालय के सामने किया जोरदार विरोध प्रदर्शन.
भूक्तभोगी पीड़ित परिजनों सहित गरीब ग्रामीणों पर ही कर दिया गया है पुलिस ने एफआईआर 353 ग़ैर जमानती धारा के तहत मामला दर्ज प्रशासन द्वारा देखा गया यहां पर न्याय मांगने पर अपराधी साबित करने का दोहरा चरित्र अजब-गजब तुगलकी फरमान.
ग्रामीण इस बात से काफी नाराज दिखे। और उनकी मांग यह थी कि प्रशासन का यह गरीबों के प्रति कैसा न्याय है। उचित यह होता कि प्रशासन मुआवजा और नेशनल हाईवे की लापरवाही के जिम्मेदार व्यक्तियों पर मामला दर्ज करने में त्वरित कार्रवाई पर दिलचस्पी दिखाते हुए मानवीय संवेदनों का परिचय दिखाते हुए रेस दिखाई पड़ती पर यहां पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा में तत्परता न दिखाते हुए उल्टे पीड़ित परिवारों और ग्रामीण के ऊपर मामला दर्ज करने में ही ज्यादा आमादा दिखते हुए रेस दिखाते नजर आये।
ग्रामीणों ने यह भी कहा की शुरुआती दौड़ में ही प्रशासन पहुंचकर वार्ता का पहल करने में जिस प्रकार से प्रशासन द्वारा पीढ़ी परिवार जानू और ग्रामीण ऑन के साथ सड़क एग्जाम स्थल पर पहुंचकर पहल करते हुए वार्ता करने में इसी प्रकार से होती दिखाई पड़ती तो यह सड़क जाम ज्यादा देर तक नहीं जाम रहती मामला दर्ज करने में प्रशासनिक अमला स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। उसी भांति अगर प्रशासनिक अमला दुर्घटना स्थल पर पीड़ित परिवारजनों और ग्रामीणों से धरना स्थल पर जाकर वार्ता का पहला करने में तत्परता दिखाई होती। तो यह राष्ट्रीय राजमार्ग 9 घंटे तक पीड़ित परिवारों को सड़क जाम करने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ता। और इतनी देर तलक सड़क जाम नहीं रहती। पीड़ित की पत्नी और ग्रामीण महिलाओं की एक ही मांग थी। कि जब तक प्रशासन सभी ग्रामीणों के ऊपर से सड़क जाम का दर्ज मामले नहीं हटाती है। और उचित मुआवजा नहीं देती है। तब तक हम लोग बालक मुंडा के शव को यहां से नहीं ले जाएंगे। इस बात कि जानकारी होते ही पूजा प्रशासनिक विभागों में हड़कंप मच गया। साथ ही इस तरह की वाक्या सुनने पर भाजपा के कई नेता कार्यकर्ता अनुमंडल कार्यालय पहुंचे और अनुमंडल अधिकारी सुरेश चंद्र से उनकी उपस्थिति में वार्ता की पहल आरंभ हुई। वार्ता की पहल में अनुमंडल अधिकारी से मांग की गई कि जल्द से जल्द विभागीय नियम के अनुसार मुआवजा और 46 ग्रामीणों के ऊपर मामला दर्ज को हटा लिया जाए। इस पर अनुमंडल अधिकारी सुरेश चंद्र ने आश्वासन दिया। तब जाकर पीड़ित परिवार और ग्रामीण महिलाओं ने शव को अपने घर लेकर गए।
इस मौके पर शव के साथ धरना प्रदर्शन में शामिल ग्रामीण महिलाओं में बालक मुंडा की पत्नी दुगली मुंडा, बेटे की पत्नी दुर्गा मुंडा, जोबा मुंडा, मंजू मुंडा, सुमित्रा मुंडा, देवयानी मुंडा, पान मोनी सिंह, काजल मुंडा, मुंगी मुंडा, श्रीमंत बारिक के अलावे भाजपा के ग्रामीण जिला अध्यक्ष चंडी चरण साव, लखन मारडी, दिनेश कुमार साव, कुश राम सिंह मुंडा, जुझार सोरेन, सत्या तिवारी आदि उपस्थित रहे।









