पाकुड़ : पाकुड़ जिला निबंधन कार्यालय में शुक्रवार को हजारों दस्तावेजों को आग के हवाले कर दिया गया। हैरानी की बात ये है कि इस पूरी प्रक्रिया में न तो कोई मजिस्ट्रेट मौजूद था और न ही वीडियोग्राफी कराई गई, जबकि उपायुक्त ने स्पष्ट निर्देश जारी किए थे कि कोई भी सरकारी दस्तावेज मजिस्ट्रेट की मौजूदगी और वीडियोग्राफी के साथ ही नष्ट किया जाएगा। कार्यालय परिसर में धुएं का गुबार उठता देख लोग जमा हो गए। जब कारण पूछा गया तो एक कर्मचारी ने बताया कि ये सभी फाइलें 5 से 7 साल पुरानी थीं, जिनका अब कोई उपयोग नहीं था। कर्मचारी के मुताबिक, डीड के साथ जो एक्स्ट्रा फॉर्म रहते हैं, उन्हीं को जलाया गया है।
प्रशासनिक आदेश की अनदेखी
उपायुक्त पाकुड़ की ओर से पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था कि सरकारी दस्तावेजों को नष्ट करने की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होनी चाहिए। इसके लिए मजिस्ट्रेट की उपस्थिति और वीडियोग्राफी अनिवार्य बताई गई थी। ऐसे में नियमों की अनदेखी कर दस्तावेज जलाया जाना कई सवाल खड़े कर रहा है ।
क्या छुपाना चाहते थे
स्थानीय लोगों के बीच चर्चा है कि कहीं कोई संवेदनशील दस्तावेज तो नहीं नष्ट कर दिए गए । आखिर इतनी जल्दबाजी क्यों थी । अगर ये सिर्फ अनुपयोगी फॉर्म थे तो तय प्रक्रिया अपनाने में हर्ज क्या था । मामले को लेकर जिले में हलचल है। इस मामले को लेकर अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है ।
