हजारीबाग: हजारीबाग जिला के केरेडारी प्रखंड के मनातू पंचायत के फुसरी गांव जो प्रखंड का अंतिम गांव है आज के मॉडल युग में भी अपने विकास की गाथा नहीं लिख पाया, आज भी इस गांव लोग कच्चे मकान में रहने को विवश है। सरकार के द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न लाभकारी आवास योजना से यहां के लोग महरूम है यहां के एक दो लोग को इंद्रा आवास तो मिला परंतु ओ भी आधा अधूरा ही रह गया जबकि यह गांव पूर्णता आदिवासी मूल क्षेत्र है ।
यहां के स्थानीय लोग और सरकारी स्कूल के प्राचार्य कहते है कि फुसरी गांव के लोगों में जागरूकता की भारी कमी है इस गांव में शिक्षा का अलख जगाने के लिए एक सरकारी विद्यालय तो है परंतु वहां केवल बच्चे मध्यान भोजन पाने के लिए जाते है स्कूल में पढ़ने के लिए बच्चों को जबरन बुलाया जाता है घर जा जा कर तब बच्चे स्कूल आते है यहां के अभिवावक भी नहीं चाहते है कि उनके बच्चे शिक्षित हो जरूरत है बच्चे से पहले यहां के लोगों को जागरूक करने की ।
शांति मिंज ने कहा कि आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के उपरांत यहां लोग खेती पर आश्रित है परंतु इनके खेती में पटवन के लिए कोई भी सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं है लोग कहते है कई वर्ष पूर्व काफी दौड़ धूप करने के बाद एक सरकारी कुंआ तो मिला था परंतु इसकी गहराई इतनी कम है कि खेती कर पाना बहुत ही मुश्किल है यहां रहने वाले लोगों के पास जमीन तो कई एकड़ में है परंतु सिंचाई की पूर्ण व्यवस्था नहीं रहने के कारण लोग अपने जमीन पर खेती नहीं कर पाते है स्थानीय कहते है कि पेट की आग ओर परिवार की भरन पोषण के लिए लोग इस गांव से दूसरे राज्य नौकरी की तलाश में पलायन कर रहे है । इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में पीने के पानी के लिए नल जल योजना को लेकर एक जल मीनार लगा तो दिया गया परंतु ओ भी हाथी का दांत साबित हो रहा है ।
इस पूरे मामले पर हजारीबाग की उपायुक्त नैंसी सहाय ने संज्ञान लेते हुए कहा कि केरेडारी प्रखंड के अंतिम गांव फूसरी में कई मूलभूत सुविधाओं की कमी है जिसे जल्द ही ऑफिसर की टीम बना कर गांव भेजा जाएगा और अन्य मूलभूत सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए किस मद से कार्य किया जाएगा इस पर डीपीआर बनाया जाए l
बहरहाल एक ओर जहां बड़कागांव और केरेडारी प्रखंड में महारत्न कंपनी एनटीपीसी के साथ कई कंपनी कोयला निकालने के साथ क्षेत्र में कई विकास कर रहे है जिला पदाधिकारी प्रखंड पदाधिकारी के साथ स्थानीय जन प्रतिनिधि जहां विकास की बात कर रहे है तो वहीं इस फुसरी गांव की जमीनी हकीकत विकास के दाबो को मुंह चिढ़ा रहा है ऐसे में जरूरत है विकास केवल कागज पर ना हो बल्कि जमीनी स्तर पर हो ताकी गांव के लोग भी विकास के अग्रिम पंक्ति में खड़ा हो सके ।









